SAIL पेंशन: SESBF को NPS में ट्रांसफर करने मुद्दे पर BSP WORKER’S यूनियन और प्रबंधन आमने-सामने, ED HR ने ली राय”

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04 – सितम्बर – 2025 (SESBF–NPS से जुडी जरूरी खबर)
- भिलाई स्टील प्लांट (BSP) के कर्मचारियों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर बीएसपी वर्कर्स यूनियन (BWU) ने 4 सितंबर को कार्यपालक निदेशक (HR) के साथ बैठक की।
- यूनियन अध्यक्ष श्री उज्ज्वल दत्ता ने खासतौर पर SESBF फंड और NPS में ट्रांसफर को लेकर चिंता जताई और कहा कर्मचारियों के हितों की ओर संयंत्र प्रबंधन द्वारा अत्यधिक ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
- साथ ही अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा हुई। आइये जानते है इस खास बातचीत के प्रमुख अंश क्या रहे❓
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बैठक में उठे प्रमुख मुद्दे:-
1. SESBF फंड और NPS ट्रांसफर पर विवाद
👉बैठक में BWU यूनियन ने स्पष्ट कहा की – कर्मचारियों के एसइएसबीएफ फंड में जमा राशि को NPS में डालने की स्थिति में कर्मचारियों के हितों एवं उनके फायदे – नुकसान की ओर संयंत्र प्रबंधन द्वारा अत्यधिक ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
👉और यदि SAIL PENSION TRUST और NPS एक साथ चलाना गैरकानूनी है तो एसइएसबीएफ (Superannuation Benefit Fund) को खत्म करना ठीक कदम हो सकता है, पर इसके लिए कर्मचारियों को उचित विकल्प मिलने आवश्यक है।
👌🏻✔️यूनियन ने तीन विकल्प सुझाए:
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VPF में ट्रांसफर – कर्मचारियों की राशि स्वेच्छिक भविष्य निधि (Voluntary Provident Fund) में डाल दी जाए।
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NPS में शिफ्ट – जो कर्मचारी चाहें, वे NPS (National Pension System) में ट्रांसफर करा सकें।
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सीधे भुगतान – एसइएसबीएफ की जमा राशि कर्मचारियों को सीधे उनके बैंक खाते में दी जाए, ताकि वे स्वयं अन्य निवेश का विकल्प चुन सकें।
👉 यह सुझाव कर्मचारियों में व्याप्त भ्रम को दूर करने और पेंशन सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
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बैकग्राउंड: SESBF, Pension Trust और NPS क्या हैं?
👉भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों की पेंशन व्यवस्था फिलहाल कानूनी उलझनों में घिर गई है।
👉जानकारी के अनुसार, SAIL Pension Trust और SESBF (Superannuation Benefit Fund) को समानांतर रूप से संचालित करना सरकार की दृष्टि में वैध नहीं माना जा रहा है, क्योंकि कर्मचारियों को एक साथ दो पेंशन लाभ देना नियमों के विरुद्ध है।❌
👉इसी कारण प्रबंधन स्तर पर यह विचार प्रबल हो रहा है कि SESBF में जमा राशि को National Pension System (NPS) में ट्रांसफर किया जाए।
👉हाल ही में कोलकाता में आयोजित SESBF बैठक से लौटने के बाद ईडी (HR) श्री पवन कुमार ने भिलाई में यूनियन प्रतिनिधियों से फीडबैक लेना शुरू किया। प्रबंधन का कहना है कि “दोहरी पेंशन व्यवस्था कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है, इसलिए समाधान के तौर पर SESBF की राशि को NPS में स्थानांतरित करने का विकल्प सबसे उपयुक्त माना जा रहा है।”
👉उल्लेखनीय है कि SAIL Pension Scheme, कंपनी की आधिकारिक पेंशन योजना है, जिसका संचालन SAIL Pension Trust करता है और अंततः यह राशि कर्मचारियों के NPS खाते में ही जमा होती है, जबकि SESBF ऐतिहासिक रूप से एक अलग सुपरएन्नुएशन फंड रहा है।
👉अब जब दोनों का संयुक्त संचालन कानूनी अड़चन खड़ी कर रहा है, तब आगे की दिशा तय करने के लिए कर्मचारियों से राय ली जा रही है।
👉कर्मचारियों में अक्सर सवाल उठता है कि SAIL Pension Scheme, SAIL Pension Trust और NPS आखिर क्या हैं और इनमें अंतर क्या है?
🔹 SAIL Pension Scheme
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यह SAIL की अपनी पेंशन योजना है, जो Ministry of Steel और DPE की मंजूरी से बनी।
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इसमें कंपनी 3% से 9% तक योगदान करती है।
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उद्देश्य: कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा देना।
🔹 SAIL Pension Trust
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यह ट्रस्ट सिर्फ स्कीम को ऑपरेट करने और फंड को मैनेज करने के लिए बनाया गया है।
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कंपनी और कर्मचारियों का योगदान सुरक्षित रूप से NPS तक पहुँचाता है।
🔹 NPS (National Pension System)
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भारत सरकार की राष्ट्रीय पेंशन योजना।
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हर कर्मचारी का एक PRAN (Permanent Retirement Account Number) होता है।
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फंड यहां जमा होता है और रिटायरमेंट पर पेंशन + लम्पसम राशि मिलती है।
👉 सरल शब्दों में:
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Sail Pension Scheme = नीति
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Trust = मैनेजर
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NPS = फाइनल खाता, जहाँ पैसा जमा होता है।
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बैठक में उठे प्रमुख मुद्दे:-
2. कर्मचारियों की सुरक्षा और गेट प्रबंधन
यूनियन अध्यक्ष ने कहा कि बोरिया गेट का समय कर्मचारियों के लिए असुरक्षित है, क्योंकि सामान्य पाली के कर्मचारियों को बाहर निकालने के लिए 6:30 बजे बोरिया गेट का आउट गेट बंद कर दिया जाता है।
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बोरिया गेट पर नाइट शिफ्ट में 9:30 बजे के बजाय 9:00 बजे गेट खोला जाए।
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सामान्य पाली के कर्मचारियों के लिए आउट गेट शाम 7:00 बजे तक खुला रहे।
इन बदलावों से शिफ्ट बदलने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा में सुधार होगा।
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3. अन्य कर्मचारी हित मुद्दे
बैठक में यूनियन ने कई अन्य बिंदुओं पर भी जोर दिया:
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लीव कॉम्बिनेशन – मामला 6 महीने से लंबित है, तत्काल निराकरण जरूरी।
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Twin quarter आवंटन – खुर्सीपार एरिया की तर्ज पर सेक्टर एरिया में भी छोटे ट्विन क्वार्टर लाइसेंस में दिए जाए।
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कमेटियों का गठन – सुरक्षा, कैंटीन और वेलफेयर कमेटियों का गठन न होने से कर्मचारियों की समस्याएँ अनदेखी हो रही हैं।
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BSP सेवा ट्रस्ट में रिक्त पद – रिटायरमेंट के कारण खाली पदों को तुरंत भरा जाए।
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मॉनिटरी बेनिफिट – नए प्रोजेक्ट आने पर कर्मचारियों को वित्तीय लाभ दिया जाए। इससे उनके मनोबल में वृद्धि होगी जिसका सीधा लाभ संयंत्र को मिलेगा।
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ब्लैकलिस्टेड कॉन्ट्रैक्टर्स पर रोक – यूनियन ने आरोप लगाया कि कुछ ब्लैकलिस्टेड कॉन्ट्रैक्टर और एजेंसियां अब भी प्लांट के अंदर काम कर रही हैं, जो सुरक्षा दृष्टिकोण से गंभीर है।
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बैठक में कौन-कौन रहे शामिल ?
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प्रबंधन पक्ष: ईडी HR पवन कुमार, मुख्य महाप्रबंधक HR संदीप माथुर, GM HR (Non-Works) जेएन ठाकुर, GM CLCIR विकास चंद्रा, GM (ईडी सचिवालय) सौमिक डे, वरिष्ठ प्रबंधक एम. प्रसाद, वरिष्ठ प्रबंधक प्रियंका मीणा।
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यूनियन पक्ष: अध्यक्ष उज्ज्वल दत्ता, कार्यकारी महासचिव शिव बहादुर सिंह सहित प्रतिनिधि।
निष्कर्ष
BWU की इस बैठक ने भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों की आवाज़ को फिर सामने रखा है।
पेंशन फंड का सवाल न सिर्फ आर्थिक, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का भी है।
आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि प्रबंधन यूनियन के इन सुझावों को कितना गंभीरता से लेता है और कर्मचारियों के हितों की रक्षा कैसे करता है।
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