BSP Canteen बनाम Corporate Office: कर्मचारियों की थाली में असमानता का सच

– DIGITAL BHILAI NEWS –
– 16 – SEPTEMBER – 2025-(SAIL CANTEEN NEWS) –
- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी है।
- लेकिन हाल ही में सामने आए SAIL Corporate Office Delhi के नए कैंटीन मेन्यू ने कर्मचारियों के बीच तुलना और असंतोष की लहर पैदा कर दी है।
- जहाँ दिल्ली स्थित कॉरपोरेट ऑफिस में रोज़ाना होटल-स्टाइल खाना बेहद सस्ते दामों पर उपलब्ध है, वहीं भिलाई स्टील प्लांट (BSP) और SAIL की अन्य उत्पादन इकाइयों में कैंटीन खाने की क्वालिटी को लेकर गंभीर शिकायतें सामने आती रही हैं।
- कर्मचारियों का आरोप है कि यहाँ का खाना न तो स्वादिष्ट है, न पौष्टिक, और दरें इतनी ज़्यादा हैं कि सस्ता भोजन केवल एक सपना रह गया है।
- जानिए क्या है पूरा मामला ?
कॉरपोरेट ऑफिस का “होटल-जैसा” मेन्यू
👉दिल्ली SAIL Corporate Office का मेन्यू देखकर कोई भी हैरान हो सकता है।
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सोमवार से रविवार तक हर दिन स्पेशल डिश उपलब्ध है।
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शनिवार को छोले-भटूरे, मटर कुलचा और रस मलाई, गुरुवार कढ़ाई पनीर और इमरती खोवा बर्फी , शुक्रवार को चिकेन बोनलेस, और भी कटलेट, समोसा, इडली, राजमा, छोले जैसे तरह तरह के पकवान।
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कर्मचारियों को यह सब सब्सिडाइज्ड रेट पर मिलता है, जिससे घर से टिफिन लाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।
यह दर्शाता है कि कॉरपोरेट ऑफिस के कर्मचारियों के लिए कैंटीन सिर्फ भोजन नहीं बल्कि Employee Satisfaction Tool है।
Bhilai Steel Plant और अन्य यूनिट्स की कैंटीन हकीकत?
👉दूसरी ओर भिलाई स्टील प्लांट और अन्य SAIL यूनिट्स की कैंटीन की तस्वीर अलग है।
- यहाँ का मेन्यू साधारण और रिपिटेटिव है।
- कर्मचारियों का कहना है कि भोजन की क्वालिटी अक्सर खराब रहती है।
- स्वाद और हाइजीन दोनों पर सवाल खड़े होते हैं।
- पहले बेस किचन ही एक मात्र ठीक था वह भी बंद हो गया है।
- अब प्लांट में बायोमेट्रिक के वजह से एकदम समय पर पंच करने की प्रकिया के चलते कर्मी कई बार घर से टिफ़िन भी नहीं ला पाते, क्युकी सुबह सुबह घर की महिलाओ को बच्चो का स्कूल व अन्य काम रहते है। और यहाँ CANTEEN में ठीक खाना/नास्ता नहीं मिलता जिससे कर्मियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पूर्व की घटनाएँ
👉स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में कई बार यह सामने आया है कि BSP कैंटीन में परोसे गए भोजन में कॉकरोच तक मिल चुका है।
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कर्मचारियों ने विरोध जताया, यूनियन ने इसे “गंभीर हाइजीन इश्यू” कहा।
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प्रबंधन ने जाँच और सुधार का भरोसा दिया, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि क्वालिटी में कोई ठोस बदलाव नहीं आया।

2016 का एग्रीमेंट और उसकी हकीकत
👉वर्ष 2016 में यूनियन और प्रबंधन के बीच एक समझौता हुआ था।
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इसमें तय किया गया था कि कुछ बेसिक आइटम्स (चाय, समोसा, इडली, पूरी-सब्ज़ी, थाली आदि) हमेशा उपलब्ध रहेंगे।
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इनका Rate और Quantity यूनियन व प्रबंधन की सहमति से Fix होगा और Subsidised Rate पर दिया जाएगा।
👉लेकिन कर्मचारियों का आरोप है कि अब यह व्यवस्था केवल कागज़ों तक सीमित है।
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हर साल 10% से अधिक रेट बढ़ जाते हैं।
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क्वांटिटी (Weight) घटाई जाती है।
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क्वालिटी पर कोई सुधार नहीं दिखा।
Subsidy और पर्क्स का दोहरा मापदंड
👉कर्मचारियों का सबसे बड़ा आरोप है कि कॉरपोरेट ऑफिस के अधिकारी, जिन्हें पहले से पर्क्स मिलते हैं, वे कैंटीन सब्सिडी का भी लाभ ले रहे हैं।
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जबकि प्लांट वर्कर्स को पहले कैंटीन अलाउंस 32 रुपये मिलता था जिसे यह कहकर दरकिनार किया जाता है कि उनके वेतन और पर्क्स में यह समाहित हैं।
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यह दोहरा मापदंड कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ रहा है।
कर्मचारियों की माँग: Corporate जैसी Tender प्रक्रिया
👉भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों का मानना है कि यहाँ भी Corporate Office जैसी पारदर्शी Tender प्रक्रिया होनी चाहिए।
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अभी कैंटीन टेंडर की शर्तें इतनी उलझी हुई हैं कि नए लोग इसमें हिस्सा ही नहीं ले पाते।
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नतीजा यह है कि पूरे प्लांट की लगभग 45 कैंटीन केवल 2–3 लोग ही अलग-अलग नाम से चला रहे हैं।
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यह एक तरह की Monopoly System है, जिसमें टेंडर आगे Petty Contract पर दे दिए जाते हैं और असली खेल “Monthly Payout” का हो जाता है।
Monopoly और Petty Contract का खेल
👉सूत्रों के मुताबिक, ये कैंटीन Tender लेने वाले लोग सीधे संचालन नहीं करते।
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वे Tender लेकर उसे Petty Contract में दूसरों को दे देते हैं।
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बदले में उनसे हर महीने तय रकम (Payout) वसूलते हैं।
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यदि एक कैंटीन का Payout औसतन ₹5000 भी हो और प्लांट के अंदर 45 कैंटीन है, तो महीने का यह आंकड़ा ₹2 लाख से ऊपर पहुंच जाता है।
👉इस सिस्टम में असली ध्यान खाने की क्वालिटी पर नहीं, बल्कि “कमाई” पर रहता है।
Monitoring और Oversight की कमी
👉कर्मचारियों का कहना है कि कैंटीनों की Monitoring ठीक से नहीं होती।
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न तो Rates पर सख्ती है।
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न ही खाने की क्वालिटी पर नियमित निरीक्षण होता है।
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शिकायतें दर्ज होती हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं होता।
शिफ्ट के हिसाब से सुविधा का अभाव
👉SAIL Plant तीनों शिफ्ट (Day, Evening, Night) और General Shift में चलता है।
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लेकिन कैंटीन ज्यादातर सिर्फ General Shift के कुछ घंटो बाद तक ही सीमित है।
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देर रात या Night Shift के कर्मचारियों को सिर्फ “चाय” मिलती है, जबकि नाश्ता और snacks भी उपलब्ध होना चाहिए।
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कर्मी कह रहे है चाय भी 80 ML की बजाय सिर्फ 40 ML पेपर कप में दी जाती है, जो तय शर्तों का उल्लंघन है।

असर और विश्लेषण
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Health Impact: खराब खाना कर्मचारियों की सेहत पर सीधा असर डालता है।
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Morale Down: जब Corporate Office में शानदार मेन्यू और Plant में घटिया खाना मिले, तो असमानता की भावना गहराती है।
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Productivity Loss: अच्छा और पौष्टिक भोजन कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाता है, जबकि खराब भोजन का उल्टा असर होता है।
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Systemic Failure: Monopoly और Monitoring की कमी ने पूरी कैंटीन व्यवस्था को “Profit-Oriented” बना दिया है।
SAIL Corporate Office और Bhilai Steel Plant कैंटीन के बीच का अंतर सिर्फ खाने का नहीं बल्कि सोच और प्राथमिकताओं का अंतर है।
जहाँ Corporate Office में कर्मचारियों को होटल-जैसा मेन्यू मिलता है, वहीं Plant Workers को LOW क्वालिटी, मनमाने रेट और निगरानी की कमी झेलनी पड़ती है।
👉 अब समय है कि SAIL प्रबंधन कर्मचारियों की असली डिमांड्स को सुने:
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Corporate जैसी पारदर्शी Tender प्रक्रिया
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Subsidised Rates की बहाली
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Monopoly खत्म कर नए खिलाड़ियों को मौका
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Proper Monitoring और Night Shifts में भी समान सुविधा
👉यह सवाल सिर्फ “खाने” का नहीं, बल्कि बराबरी और गरिमा का है।
Gen X/Y कर्मचारियों से यही संदेश है:
“खुद भी जागो और दूसरों को भी जगाओ।”
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रिपोर्ट : DIGITAL BHILAI NEWS