SAIL बोनस विवाद: कर्मचारियों की मांग — “Production Related Pay लागू करो”

– DIGITAL BHILAI NEWS –
12 – सितम्बर – 2025 – (SAIL BONUS UPDATE)
- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) में इस वर्ष भी कर्मियों के Bonus का मुद्दा गरम है।
- कर्मचारियों का आरोप है कि कंपनी की नई APLIS स्कीम (2023–28) मूल रूप से अन्यायपूर्ण है।
- क्योंकि इसमें बोनस की गणना वर्तमान उत्पादन और लाभ से जोड़ने के बजाय पिछले तीन वर्षों के बोनस अमाउंट को भी आधार बनाया गया है।
- कर्मचारियों की मांग साफ़ है — “Production Related Pay (PRP) कर्मचारियों को भी लागू करो”।
- कर्मियों का कहना है कि जब अधिकारियों को सीधे PBT (Profit Before Tax) का 5% मिलता है, तो कर्मचारियों को भी उत्पादन से सीधे जुड़े लाभ मिलने चाहिए।
- आइए विस्तार से जानते है कर्मियों के इस डिमांड का मुख्य आधार ❓
⚠️ आपत्ति नंबर 1: बोनस फॉर्मूला का आधार ही गलत❌
❗APLIS स्कीम के मुताबिक बोनस तय करने में पिछले तीन वर्षों के औसत बोनस अमाउंट को भी आधार बनाया जाता है।
❓कर्मचारियों का सवाल है — “जब बोनस उत्पादन और लाभ पर आधारित होना चाहिए, तो पिछले साल के बोनस को आधार कैसे बनाया जा सकता है?”
(रेफरेंस: Scheme of APLIS (2023–28), Clause 4.0 & 5.0)
👉कर्मचारी तर्क देते हैं कि यदि आधार चुनना ही था तो मैनपावर में कमी, कोक रेट, उत्पादकता या एनर्जी खपत जैसे असली प्रोडक्शन इंडिकेटर्स लिए जा सकते थे।
प्रोडक्टिविटी डाटा (2020 बनाम 2025)
👉कोक रेट: 457 → 421 KG/thm
👉CDI रेट: 76 → 113 KG/thm
👉एनर्जी खपत: 6.47 → 6.26 Gcal/tcs
👉धमन भट्टी उत्पादकता: 1.8 → 2.02 T/m³/day
👉जल खपत: 3.5 → 3.0 m³/tcs
👉Non-exec मैनपावर: 71,008 (2017) → 41,178 (2025)
👉 कर्मचारियों का कहना है कि अपने खून पसीने से SAIL को इतनी उपलब्धियां दिलाने के बाद भी बोनस फॉर्मूला का आधार गलत रखा गया, ये SAIL कर्मियों के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
⚠️ आपत्ति नंबर 2: बोनस का सालाना आधार बदलना❗
👉APLIS स्कीम बोनस को करंट ईयर की परफॉर्मेंस पर जोड़ती है। जबकि परंपरा थी कि बोनस पिछले वर्ष के प्रदर्शन पर मिलता था।
इतिहास की झलक
❗2011 का फार्मूला: बोनस कैप ₹18,000–₹20,000 तय।
✔️2011 से पहले: बोनस हमेशा पिछले वर्ष की परफॉर्मेंस पर दिया जाता था, जो कि सही भी था।
❗2011 के बाद: करंट ईयर परफॉर्मेंस से लिंक कर दिया गया → जिससे एक साल का बोनस कर्मचारियों के हिस्से से “खो गया”।
❗रिटायरी कर्मचारियों पर असर (Pro-rata Rule)
{Pro-rata rule = अनुपातिक हिसाब से भुगतान।
यानी अगर कोई कर्मचारी पूरे साल नौकरी पर नहीं रहा (बीच में Retirement, Resignation, Death, आदि कारणों से सेवा से अलग हो गया), तो उसे बोनस/PLI पूरे साल का नहीं, बल्कि सिर्फ उतने महीनों का मिलेगा जितने महीने वह SAIL की रोल पर था।}
एक उदाहरण से समझिए:
👉मान लीजिए FY 2024-25 में Bonus/PLI तय हुआ = ₹30,000 प्रति कर्मचारी।
👉अगर कोई कर्मचारी पूरे साल (12 महीने) नौकरी पर रहा → उसे पूरा ₹30,000 मिलेगा।
👉अगर कोई कर्मचारी 8 महीने बाद रिटायर हुआ →
👉प्रो-राटा आधार पर = (₹30,000 ÷ 12) × 8 = ₹20,000
👉अगर कोई सिर्फ 3 महीने ही रोल पर था → (₹30,000 ÷ 12) × 3 = ₹7,500
👉 पहले सिस्टम में रिटायरी को फुल बोनस मिलता था, पर अब Pro-rata कटौती से बड़ा नुकसान।
⚠️ आपत्ति नंबर 3: 2015 का एडवांस बोनस विवाद❗
वर्ष 2015 में SAIL में कर्मचारियों को बोनस नहीं मिला, बल्कि एडवांस स्वरूप ₹9,000 दिए गए। बाद में रिटायर होने वालों की फाइनल सेटलमेंट राशि से यह एडवांस रिकवर कर लिया गया। कर्मचारियों का आरोप है कि यह “दूसरी बार प्रबंधन ने कर्मचारियों के बोनस पर डाका डाला।”
⚠️ आपत्ति नंबर 4: अधिकारी बनाम कर्मचारी भेदभाव❗
👉कर्मचारी कहते हैं कि अधिकारियों और कर्मचारियों के कुल बोनस इंसेंटिव में भारी असमानता है।
👉अधिकारियों (संख्या लगभग 10,000): PBT का 5% PRP → FY 2023-24 में ≈ ₹181 करोड़।
👉कर्मचारी (संख्या लगभग 45,000): बोनस @ ₹26,500 → कुल ≈ ₹120 करोड़।
👉 यानी अधिकारियों की संख्या 4 गुना कम होने के बावजूद उनका कुल PRP अमाउंट कर्मचारियों के कुल बोनस से ज्यादा है।
❓कर्मचारी सवाल उठाते हैं — “क्या यह सबसे बड़ा डिस्क्रिमिनेशन नहीं है?”
⚠️ आपत्ति नंबर 5: NJCS नेताओं की कमजोरी❗
❗कर्मचारियों का आरोप है कि NJCS नेता अधूरा ज्ञान लेकर समझौते पर साइन कर आते हैं।
❗NJCS में वास्तविक कर्मचारी प्रतिनिधित्व नहीं है।
❗ये नेता कर्मचारियों से कहते हैं — “आप हड़ताल में साथ नहीं देते?” अरे भाई कर्मचारियों को सजा दी जाती है हड़ताल करने पर और उस सजा से भी आप कर्मियों को निकालने में असफल होते है। और जब NJCS कर्मचारी हित सुरक्षित कराने में असफल है तो फिर कर्मचारी हड़ताल करके अपने करियर का नुकसान क्यों सहे ???
✔️इसके विपरीत, SEFI जैसे संगठनों में –चुने प्रतिनिधि मैनेजमेंट से डील करते हैं।
⚠️ आपत्ति नंबर 6: PRP पर डराने की राजनीति❗
NJCS नेताओं का तर्क —
1. अगर कर्मचारियों पर PRP लागू हुआ तो उनका ट्रांसफर SAIL की अन्य यूनिट में किया जा सकता है।
2. घाटे में कंपनी जाने पर कर्मचारियों को PRP नहीं मिलेगा।
कर्मचारियों का जवाब❗
👉Non-executive की भर्ती हमेशा Plant/Unit-specific होती आई है। इसलिए ट्रांसफर का डर गलत है।
👉इतिहास गवाह है: 2005 और 2015 में कर्मचारियों का बोनस रोका/काटा गया था। यानी बोनस भी कभी-कभी नहीं मिलता। तो घाटे का डर केवल PRP पर क्यों?
⚠️ आपत्ति नंबर 7: “Production Related Pay” हमारा अधिकार💪
👉कर्मचारियों का कहना है कि उनका बोनस केवल “चूरन” जैसा है।
अन्य PSUs से तुलना:
✔️Coal India: ₹93,500 बोनस
✔️NTPC/IOCL/BPCL/ONGC: PRP लागू
✔️NALCO/NMDC: ₹1.5 लाख तक बोनस/PRP
❗SAIL: केवल ₹26,500 बोनस
👉 सवाल उठता है: जब उत्पादन और बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर हो
FY 2024-25:
Hot Metal – 20.3 MT,
Crude Steel – 19.17 MT,
Saleable Steel – 17.94 MT;
EBITDA – ₹11,765 करोड़;
Sales – ₹1,01,716 करोड़
तो कर्मचारियों को मामूली बोनस क्यों?
👉SAIL कर्मचारियों की मांग केवल बोनस बढ़ाने की नहीं, बल्कि Production Related Pay (PRP) लागू करने की है।
👉उनका कहना है कि जब कंपनी की प्रोडक्टिविटी, प्रॉफिट और सेल्स में रिकॉर्ड सुधार हुआ है तो बोनस का मौजूदा फॉर्मूला अन्यायपूर्ण और भेदभावपूर्ण है।
👉 “प्रोडक्शन रिलेटेड बोनस हमारी मांग नहीं, हमारा अधिकार है।”
👉यह नारा अब केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि तर्क और आंकड़ों से समर्थित है।
👉प्रबंधन और NJCS दोनों के लिए यह जरूरी है कि वे बोनस के इस पुराने ढर्रे को बदलकर कर्मचारियों को उनका हक़ दिलाएँ।
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✍🏻 रिपोर्ट : DIGITAL BHILAI NEWS