“कोल यूनियनें बोनस बढ़वाएँ, SAIL नेता हस्ताक्षर की नौटंकी दिखाएँ”

👉🏻कोल इंडिया के कर्मियों को हर साल बढ़ता बोनस, वहीं SAIL कर्मचारी मैनेजमेंट और NJCS नेताओं के “हस्ताक्षर खेल” में ठगे जाते हैं।
कोल इंडिया में कर्मियों का पलड़ा भारी ⚖️
- JBCCI (Joint Bipartite Committee for Coal Industry) में शामिल पाँच बड़ी यूनियनें (INTUC, AITUC, CITU, BMS, HMS) हर साल प्रबंधन पर दबाव बनाकर बोनस बढ़वाती हैं।
- चाहे कंपनी का मुनाफ़ा कम भी हो जाए, यूनियनों की एकजुटता से बोनस कभी घटता नहीं, हमेशा बढ़ता है।
- 2024 में कर्मचारियों को ₹93,750 और ठेका मजदूरों को 8.33% बोनस मिला।
- 2025 में मुनाफ़ा और ज्यादा होने पर यूनियनों ने ₹1 लाख से ऊपर बोनस की मांग शुरू कर दी है।
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📈 मुनाफ़ा ग्राफ (कोल इंडिया – ₹ करोड़):
2018-19 → ₹17,463 करोड़ 🔼
2019-20 → ₹16,700 करोड़ 🔻
2020-21 → ₹12,500 करोड़ 🔻
2021-22 → ₹17,300 करोड़ 🔼
2022-23 → ₹28,125 करोड़ ⏫
2023-24 → ₹37,402 करोड़ ⏫
Coal India 🤑Bonus 👉🏻
SAIL का मॉडल: कर्मचारियों के खिलाफ? ❌
NJCS (National Joint Committee for Steel) में शामिल नेताओं पर आरोप है कि वे मैनेजमेंट का दिया हुआ घटिया बोनस फार्मूला साइन कर आए है जिससे कर्मचारियों के झोली में 26 या 28 हजार से ज्यादा बोनस मिल ही नहीं सकता 😓
प्रमुख NJCS महारथी (नाम के) सदस्य –
- श्री संजीवा रेड्डी (1994 से INTUC अध्यक्ष)
- श्री तपन सेन (2012 से CITU महासचिव)
- श्री डी.के. पांडेय (2015 से NJCS सदस्य)
- श्री संजय बढ़वाकर (2014 से HMS महासचिव)
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📉 बोनस का इतिहास (SAIL)
2010–20 फार्मूला: अधिकतम ₹18,040 मिला था।😐
2021 में जबरदस्त प्रॉफिट: 2022 में बोनस केवल ₹40,500 दिया गया।
👉🏻इसमें से ₹12,000 को “विशेष बोनस” बताकर अलग कर दिया गया, ताकि आगे रेगुलर बोनस का हिस्सा न माना जाए।
2022 में नया फार्मूला: न तो NJCS की फुल कमेटी में पास हुआ, न ही आम सहमति से बना। फिर भी उसी अवैध फार्मूले से अब तक बोनस दिया जा रहा है।
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तुलना (JBCCI बनाम NJCS)
कर्मचारियों की नाराज़गी😠 क्यों बढ़ रही है?
- मुनाफा बढ़ने के बावजूद बोनस नहीं बढ़ता।👎🏻
- NJCS नेताओं पर आरोप कि वे “हस्ताक्षर मशीन” बन गए हैं।😪
- 2010–20 की तुलना में आज बोनस में कोई ठोस उछाल नहीं दिख रहा।😥
- जबकि कोल इंडिया के कर्मियों को हर साल पिछले बोनस से ज्यादा मिलता है।🤔
- हाल के वर्षों में एक नया खेल 😐शुरू हुआ है —
- कभी दो या तीन यूनियनें सहमत 🫱🏻🫲🏻होकर साइन करती हैं, बाकी विरोध करती हैं।🤭
- अगली बार वही विरोध करने वाली यूनियनें साइन कर देती हैं🤫 और बाकी विरोध करती हैं।
- यानी बारी-बारी से हस्ताक्षर की नौटंकी, और नतीजा – घटिया समझौते।👎🏻
दुर्गा पूजा करीब, पर SAIL में सन्नाटा😟
दुर्गा पूजा नज़दीक है, लेकिन SAIL में बोनस को लेकर न तो कोई हलचल🙄 दिख रही है और न ही नेताओं में कोई चर्चा।😮💨 वजह साफ़ है – कर्मचारियों को मालूम है कि मैनेजमेंट बोनस की बैठक सिर्फ “सूचना” देने के लिए करता है, न कि असली बातचीत या नेगोशिएशन के लिए।
पिछली बार तो हालात और भी शर्मनाक रहे – जब बैठक में यूनियनों और प्रबंधन के बीच कोई सहमति नहीं बनी, तब मैनेजमेंट ने अपनी मर्ज़ी का बोनस सीधे कर्मचारियों के खाते में डाल दिया। नतीजा यह हुआ कि NJCS नेताओं की इज्ज़त का सारा मुलम्मा उतर गया और वे कर्मियों की नज़र में केवल “हस्ताक्षर करने वाले” ✍🏻प्रतिनिधि 😆बनकर रह गए।
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⚡ निष्कर्ष:
जहां कोल इंडिया के कर्मियों को यूनियनें हर साल बढ़ता बोनस दिलाने में सफल रहती हैं, वहीं SAIL कर्मचारी NJCS नेताओं की हस्ताक्षर नौटंकी और मैनेजमेंट की मनमर्जी से ठगे जाते हैं। यही वजह है कि SAIL में नेताओं पर आक्रोश चरम पर है और कर्मियों की जेब हर साल खाली😓 होती जा रही है।
✍🏻रिपोर्ट: Digital Bhilai News
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