Bokaro Steel के कर्मियों ने बजाया उत्पादन का डंका, 120% तक हासिल किए टारगेट – लेकिन इन्सेंटिव में कटौती से मायूस”

👉 मई से जुलाई तक कई Bokaro steel प्रोडक्ट्स ने 100% से ज्यादा टारगेट पूरा किया, यूनियन ने सवाल उठाए – आखिर मेहनतकश कर्मियों को हक का पूरा इन्सेंटिव क्यों नहीं मिला?

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📊 असली आंकड़े क्या कहते हैं?

मई 2025

  • Sinter ने टारगेट का 122% हासिल किया
  • Saleable Steel ने 101% दिया।
  • Crude Steel 87% तक ही सिमटा।

कुल मिलाकर कई विभागों ने लक्ष्य से ऊपर प्रदर्शन किया।

जून 2025

  • Sinter 110% पर रहा।
  • Crude Steel गिरकर 77% पर आ गया
  • Saleable Steel 95% रहा।

यानी जून में प्रदर्शन कुछ विभागों में नीचे खिसका, लेकिन कई जगह 100% के करीब रहा।

जुलाई 2025

  • HR Coil ने कमाल कर दिया – 130% टारगेट पार किया।
  • Saleable Steel भी 124% तक पहुंच गया
  • Crude Steel 96% पर रहा, यानी सुधार के संकेत मिले।

आसान भाषा में फर्क जानिए👉🏻

जब टारगेट 100% होता है, तो उससे ऊपर जाना मतलब कर्मियों ने अतिरिक्त मेहनत की।

मई और जुलाई में कई यूनिट्स ने 120–130% तक डिलीवरी की।

Example 👉🏻 जुलाई में HR Coil target “283000 ton” से बढ़कर एक्चुअल “3,72,400 टन” उत्पादन रहा। (विस्तृत रिपोर्ट के लिए नीचे दिए पत्र को देखें)

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✋ लेकिन असली मुद्दा

“BSL अनाधिशासी कर्मचारी संघ” यूनियन का कहना है कि—

“कर्मियों ने पसीना बहाकर लक्ष्य से कहीं ज्यादा उत्पादन किया, लेकिन इन्सेंटिव रिवॉर्ड (Incentive Reward) की राशि उसी अनुपात में नहीं मिली। मेहनत और इनाम का संतुलन गड़बड़ है।”

यूनियन ने प्रबंधन को लिखे पत्र में मई, जून और जुलाई के उत्पादन आंकड़े गिनाकर साफ़ किया है कि मेहनतकश कर्मियों के साथ अन्याय हुआ है।

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इस्पात उद्योगों में इन्सेंटिव रिवॉर्ड सिस्टम कर्मचारियों को ज्यादा उत्पादन के लिए प्रेरित करता है। यह स्कीम टारगेट से ज्यादा उत्पादन पर बोनस जैसी राशि देती है। बोकारो जैसे विशाल संयंत्र में यह कर्मचारियों के लिए बड़ी उम्मीद होती है। लेकिन जब मेहनत और इनाम में फर्क दिखे तो असंतोष स्वाभाविक है।

❓ बड़े सवाल

क्या प्रबंधन इन आंकड़ों को देखकर इन्सेंटिव की समीक्षा करेगा?

क्या कर्मियों को 120% मेहनत का 120% इनाम मिलेगा?

या फिर यह मामला कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच टकराव को जन्म देगा?

Bokaro

निष्कर्ष

बोकारो इस्पात संयंत्र के कर्मियों ने अपने काम से साबित कर दिया कि मेहनत और जज़्बा हो तो टारगेट सिर्फ एक संख्या है, जिसे पार किया जा सकता है। लेकिन अब कर्मियों की निगाहें प्रबंधन पर हैं कि क्या वे इस मेहनत का पूरा हक देंगे या मेहनत का फल अधूरा ही रह जाएगा।

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✍🏻रिपोर्ट : डिजिटल भिलाई न्यूज़

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