भिलाई स्टील प्लांट में ठेका श्रमिकों का शोषण: उज्ज्वल दत्ता ने खोले कई काले चिट्ठे

– DIGITAL BHILAI NEWS –
– 30 – JULY – 2025 –
राष्ट्रबोध के साथ विशेष बातचीत में बीएसपी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष उज्ज्वल दत्ता ने ठेका श्रमिकों की बदहाल स्थिति, ठेकेदारों की मनमानी और प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता पर गंभीर आरोप लगाए।
ठेकेदारों के डर से श्रमिक खामोश
उज्ज्वल दत्ता ने सबसे पहले इस बात पर जोर दिया कि BHILAI STEEL PLANT में ठेका श्रमिक सबसे ज्यादा डर और भय के माहौल में काम करते हैं। उनका कहना है –
“जो श्रमिक आवाज उठाता है या यूनियन से जुड़ता है, उसे तुरंत काम से निकाल दिया जाता है।”
उज्ज्वल दत्ता ने आरोप लगाया कि कुछ ठेकेदार बाकायदा ऐसे फॉर्मेट श्रमिकों से साइन करवा रहे हैं, जिसमें साफ लिखा होता है कि अगर कोई यूनियन से जुड़ेगा या हक की मांग करेगा तो उसे नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा।
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प्रशासनिक चुप्पी और श्रम विभाग की विफलता
दत्ता ने श्रम विभाग और लेबर कमिश्नर की भूमिका पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि शिकायतें दर्ज होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, जिससे ठेकेदारों का हौसला और बढ़ जाता है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि PF और ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम लागू होने के बावजूद ठेकेदार मजदूरों के एटीएम कार्ड अपने पास रखकर मजदूरी का बड़ा हिस्सा हड़प लेते हैं।
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करोड़ों का घोटाला और ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार
एक और गंभीर खुलासा करते हुए दत्ता ने कहा कि एक ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार आज भी दूसरे नाम से BHILAI STEEL PLANT में लगभग 4000 श्रमिकों की सप्लाई कर रहा है।
प्रत्येक श्रमिक के वेतन से कम से कम ₹3,000 काटे जाते हैं। इस तरह हर महीने करीब ₹1.20 करोड़ का घपला होता है।
विदेशी श्रमिकों और धर्मांतरण का मुद्दा
दत्ता ने यह भी कहा कि BHILAI STEEL PLANT में बाहर से लाए गए श्रमिकों में कुछ पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी होने का संदेह है। उन्होंने बताया कि पुलिस और प्रशासन को कई महीने पहले इसकी शिकायत दी गई थी।
हाल ही में अचानक कई संदिग्ध मजदूर और फेरीवाले शहर व प्लांट से गायब हो गए हैं। दत्ता का आरोप है कि इसके पीछे संगठित नेटवर्क और मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण की गतिविधियां भी जुड़ी हुई हैं। उनका कहना था:
“श्रमिक समाज सबसे कमजोर वर्ग है और इन्हें टारगेट करके धर्मांतरण कराया जा रहा है। यदि इस पर रोक लगानी है तो श्रमिक बेल्ट में सशक्त मुहिम चलानी होगी।”
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BHILAI STEEL PLANT में बढ़ता मशीनीकरण और ठेका प्रणाली की चुनौतियां
दत्ता ने बताया कि वर्तमान में BHILAI STEEL PLANT की क्षमता 7.5 मिलियन टन है, जो जल्द ही 14 मिलियन टन तक पहुंचने वाली है।
इसके साथ ही मशीनीकरण बढ़ने से स्थायी नौकरियां कम होंगी और ठेका व्यवस्था और मजबूत होगी।
उन्होंने कहा कि पहले छोटे काम अलग-अलग ठेकेदारों को दिए जाते थे, लेकिन अब बड़े कामों को क्लब कर बड़ी कंपनियों को ठेका दिया जा रहा है। इसके चलते इन कंपनियों की गुंडागर्दी और मनमानी बढ़ रही है। मजदूरों से 12–14 घंटे काम लिया जा रहा है लेकिन भुगतान सिर्फ 8 घंटे का होता है।
दुर्ग सांसद श्री विजय बघेल का जिक्र
हालांकि, दत्ता ने एक सकारात्मक पहलू का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब 400 श्रमिकों को एक साथ नौकरी से निकाला गया था, तब सांसद विजय बघेल उनके समर्थन में गेट पर खड़े हुए, जिससे श्रमिकों की नौकरियां बचीं।
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क्या कहता है “डिजिटल भिलाई न्यूज” का विश्लेषण?
श्रमिक नेता उज्ज्वल दत्ता की इस बातचीत से साफ है कि BHILAI STEEL PLANT में ठेका श्रमिकों का शोषण गहरी जड़ें जमा चुका है। ठेकेदारों की दबंगई, प्रशासन की उदासीनता, करोड़ों के घोटाले और धर्मांतरण जैसे मुद्दों ने हालात को और जटिल बना दिया है।
यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह न केवल श्रमिकों के भविष्य को खतरे में डालेगा बल्कि भिलाई स्टील प्लांट जैसे राष्ट्रीय महत्व के उद्योग की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करेगा।
रिपोर्ट : डिजिटल भिलाई न्यूज…
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