Explosive Truth: “Bhilai Steel Plant” में 5 वर्षों में 14 मौतें – जिम्मेदारी नदारद, देखिए ये बड़ा खुलासा

Digital Bhilai News – भिलाई

  • Bhilai Steel plant से जुड़े एक लोकसभा प्रश्न के उत्तर ने चौंकाने वाला सच उजागर किया है।
  • बीते पाँच वर्षों (2020–21 से 2024–25) के दौरान संयंत्र में हुई औद्योगिक दुर्घटनाओं में 14 मजदूरों की मौत हुई है।
  • इन आंकड़ों ने संयंत्र की सुरक्षा व्यवस्था और प्रबंधन की जवाबदेही पर गम्भीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।

⚠️ मौतें जारी, पर जिम्मेदारी गायब👎🏻

लोकसभा प्रश्न के उत्तर के अनुसार, इन पाँच वर्षों में मृतक परिवारों को करीब ₹68 लाख का मुआवज़ा और 12 अनुकम्पा नियुक्तियाँ दी गईं।

परंतु मानव जीवन की कीमत को केवल आर्थिक राशि से आँकने पर “कर्मचारी संघ” नाराज़ हैं।

उनका कहना है कि इतने उपायों के बावजूद मौतों का सिलसिला नहीं थमा। औसतन हर साल लगभग तीन श्रमिक अपनी जान गंवा रहे हैं।

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🧾लोकसभा में पूछे गए प्रश्न का विस्तृत ब्यौरा 👉🏻

यह प्रश्न दुर्ग सांसद श्री विजय बघेल जी द्वारा इस्पात मंत्री से पूछा गया है।

Bhilai Steel plant accident

🗣️ “श्रेय ऊपर, तो जिम्मेदारी भी ऊपर”

Bhilai Steel Plant के कर्मचारी संघ (बीएकेएस) के अध्यक्ष अमर सिंह ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उनके अनुसार,

“जब रिकॉर्ड उत्पादन और रिकॉर्ड लाभ का श्रेय चेयरमैन, निदेशक और ईडी स्तर तक के अधिकारी लेते हैं, तो इन 14 मौतों की जिम्मेदारी भी उन्हें ही लेनी चाहिए। केवल निचले स्तर पर जुर्माना या चेतावनी देकर जान की कीमत तय नहीं की जा सकती।”

उन्होंने मांग की कि इन मौतों को महज दुर्घटना मानकर टालने के बजाय सभी जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों पर गैर-इरादतन हत्या (IPC 304A) का मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

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⚠️ SAIL स्तर पर स्थिति और भयावह 😨

अमर सिंह के अनुसार, यह आँकड़ा केवल भिलाई का है। यदि पूरे SAIL के संयंत्रों का हिसाब जोड़ा जाए तो पिछले पाँच सालों में 50 से अधिक मौतें सामने आती हैं।

🔍 सुरक्षा पर गहरी खामोशी🤫

औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा निदेशालय की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

कर्मचारी संघ का आरोप है कि निदेशालय केवल जांच और नोटिस तक सीमित रहता है, जबकि टॉप मैनेजमेंट पर कभी ठोस कार्यवाही नहीं होती। 🤐

👉🏻केवल नोटिस और जांच तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि बड़े स्तर पर जवाबदेही तय करनी चाहिए। उनका तर्क है कि जब तक शीर्ष प्रबंधन पर कानूनी दबाव नहीं बनेगा, तब तक सुरक्षा संस्कृति में वास्तविक सुधार संभव नहीं है।

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📌 निष्कर्ष

Bhilai Steel plant से निकले आँकड़े यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि सुरक्षा बनाम उत्पादन का संतुलन अब गम्भीर बहस का विषय है।

प्रश्न साफ है“जब सफलता का श्रेय शीर्ष अधिकारियों को मिलता है, तो असफलता और मौतों का बोझ कौन उठाएगा?”

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✍🏻रिपोर्ट : Digital Bhilai News 

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