क्यों खास हैं “INS Ajay” और “INS Nistar” ? जानिए स्टील, टेक्नोलॉजी और आत्मनिर्भर भारत की पूरी गाथा

Digital Bhilai News – नई दिल्ली/भिलाई


भारतीय नौसेना में हाल ही में शामिल हुए INS Ajay और INS Nistar सिर्फ जहाज़ नहीं हैं, बल्कि ये उस बदलते भारत की तस्वीर हैं जो अपनी रक्षा शक्ति में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है।

अधिकांश अख़बारों में इन जहाज़ों का ज़िक्र केवल “लॉन्च” और “कमीशनिंग” तक सीमित है, लेकिन इनके पीछे छिपी कहानी कहीं ज़्यादा गहरी, गौरवपूर्ण और ज्ञानवर्धक है।


🔹 INS Ajay – पनडुब्बियों का शिकारी

👉🏻INS Ajay को जुलाई 2025 में Garden Reach Shipbuilders & Engineers (GRSE), कोलकाता ने लॉन्च किया।

👉🏻यह Anti‑Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW‑SWC) श्रृंखला का आठवाँ और अंतिम जहाज़ है।

👉🏻इस जहाज़ की पूरी संरचना SAIL द्वारा आपूर्ति किए गए DMR‑249A स्टील प्लेट्स पर टिकी है। यह स्टील इतना मजबूत और टिकाऊ है कि खारे समुद्र के पानी में भी दशकों तक बिना क्षति के रहता है।

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👉🏻INS Ajay में लगा है ‘Abhay sonar system’ – जिसे DRDO की NPOL ने विकसित किया है और BEL ने प्रोडक्शन किया। यह sonar 360 डिग्री पनडुब्बी का पता लगाने की क्षमता रखता है।

👉🏻इसके अलावा इसमें Low Frequency Variable Depth Sonar (LFVDS) भी लगाया गया है, जिसे भारत और जर्मनी की संयुक्त तकनीकी साझेदारी से विकसित किया गया।

👉🏻INS Ajay की विशेषता यह है कि यह उथले समुद्री इलाकों (shallow waters) में भी पनडुब्बियों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम है, जहाँ बड़े destroyer जहाज़ आसानी से नहीं पहुँच पाते।

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🔹 INS Nistar – गहराइयों में जीवन बचाने वाला जहाज़

👉🏻INS Nistar भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित Diving Support Vessel (DSV) है।

👉🏻इसे जुलाई 2025 में Hindustan Shipyard Limited (HSL), विशाखापट्टनम ने नौसेना को सौंपा।

👉🏻यह जहाज़ सिर्फ रक्षा नहीं, बल्कि जीवन रक्षक की भूमिका निभाता है। यदि कभी पनडुब्बी दुर्घटनाग्रस्त हो जाए और उसमें दर्जनों नाविक गहराई में फँस जाएँ, तो INS Nistar उन्हें सुरक्षित निकालने की क्षमता रखता है।

इसमें लगे हैं –

👉🏻Remotely Operated Vehicles (ROVs) जो गहराई में जाकर निरीक्षण और मरम्मत कर सकते हैं।

👉🏻Self‑Propelled Hyperbaric Lifeboat (SPHL) – एक ऐसी लाइफबोट जिसमें दबाव बनाए रखते हुए गोताखोरों/नाविकों को बचाया जा सकता है।

👉🏻Deep Submergence Rescue Vehicle (DSRV) यूनिट्स – जो 300 मीटर गहराई तक जाकर फँसे नौसैनिकों को बाहर निकाल सकती हैं।

INS Nistar को एक तैरता हुआ अस्पताल भी कहा जा सकता है, क्योंकि इसमें ICU, मेडिकल वार्ड और advanced diving chambers तक मौजूद हैं।

इस जहाज़ के निर्माण में 120 से अधिक भारतीय MSMEs ने योगदान दिया है, जो इसे आत्मनिर्भर भारत की सच्ची पहचान बनाता है।

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📝 नामकरण का महत्व

भारतीय नौसेना में हर जहाज़ का नाम उसके स्वभाव और उद्देश्य को दर्शाता है।

INS ‘अजय’ और INS ‘निस्तार’ के नाम भी गहरे अर्थ लिए हुए हैं:

⚔️ अजय → संस्कृत से लिया गया शब्द, अर्थ: “अपराजेय” या “Invincible” – जहाज़ की अडिग शक्ति और दुश्मन को परास्त करने की क्षमता का प्रतीक।

🚢 निस्तार → संस्कृत शब्द, अर्थ: “मुक्ति, राहत और बचाव” – इसका नाम इसके मिशन से जुड़ा है – पनडुब्बी रेस्क्यू और गहरे समुद्र में जीवनरक्षक अभियान।


🔹 SAIL का गर्व

👉🏻INS Ajay और INS Nistar की रीढ़ जिस स्टील से बनी है, वह SAIL के “बोकारो स्टील प्लांट” से आया है।

👉🏻DMR‑249A स्टील भारत का indigenous naval‑grade स्टील है, जिसे खासतौर पर रक्षा उत्पादन के लिए विकसित किया गया।

“DMR‑249A स्टील की तकनीकी खासियतें”

👉🏻Developed by Defence Metallurgical Research Laboratory (DMRL), Hyderabad.

  • Charpy impact toughness: −40°C तक withstand कर सकता है।
  • Corrosion resistance: समुद्री वातावरण में सालों तक टिकाऊ।
  • Weldability: इस्पात के plates को complex shapes में आसानी से जोड़ा जा सकता है।

यही स्टील पहले INS Vikrant (India’s first indigenous aircraft carrier) में भी लगाया गया था। इस तरह SAIL का योगदान सिर्फ धरती पर नहीं, बल्कि समुद्र की गहराइयों और सीमाओं की सुरक्षा तक है।

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🔹 आत्मनिर्भर भारत की मिसाल

INS Ajay और INS Nistar इस बात का प्रमाण हैं कि भारत अब विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं, बल्कि खुद अपने दम पर अत्याधुनिक नौसैनिक जहाज़ बना सकता है।

ऐसे DSV जहाज़ सिर्फ़ US, UK, Russia जैसे चुनिंदा देशों के पास हैं।

🇮🇳 INS Nistar के साथ अब भारत भी इस league में शामिल हो गया है। 💪🏻

  • INS Ajay → GRSE + DRDO + BEL + MSMEs का सामूहिक प्रयास
  • INS Nistar → HSL + भारतीय MSMEs + भारतीय स्टील उद्योग का शानदार उदाहरण
  • DMR‑grade steel अगर Import किया जाता तो cost ~₹2 लाख/टन से ऊपर जाता परन्तु SAIL की indigenous supply ने Foreign Exchange बचाया। और आत्मनिर्भर भारत की रणनीति को मजबूत किया

दोनों जहाज़ों में 80% से अधिक indigenous content इस्तेमाल हुआ है।

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🌟 निष्कर्ष

जब INS Ajay अपनी sonar systems से समुद्र की गहराइयों में छिपी पनडुब्बियों का शिकार करेगा और जब INS Nistar गहरे जल में फँसे जीवन को बचाएगा, तब हर भारतीय को गर्व होगा कि इन जहाज़ों की नींव SAIL स्टील से बनी है।

ये जहाज़ महज़ नौसैनिक शक्ति नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के आत्मविश्वास का तैरता हुआ प्रतीक हैं।💪🏻

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✍🏻रिपोर्ट : Digital Bhilai News

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