भिलाई इस्पात संयंत्र : ST एम्पलाईज वेलफेयर एसोसिएशन ने मांगी तत्काल मान्यता, पंजीकृत संगठन के रूप में पेश किया ज्ञापन

Scheduled Tribe Employees Welfare Association BHILAI STEEL PLANT

– DIGITAL BHILAI NEWS – 

– 18 – SEPTEMBER – 2025 – (IMPORTANT NEWS FROM ST ASSOCIATION)


  • भिलाई स्टील प्लांट (BSP) में कार्यरत अनुसूचित जनजाति (ST) कर्मचारियों ने एकजुट होकर अपने अधिकारों की आवाज बुलंद की है।
  • Scheduled Tribe एम्पलाईज वेलफेयर एसोसिएशन ने संयंत्र प्रबंधन से तत्काल प्रभाव से संवैधानिक और औपचारिक मान्यता प्रदान करने की मांग की है।
  • इस संबंध में गुरुवार को एसोसिएशन ने कार्यपालक निदेशक (HR) के नाम एक ज्ञापन प्रस्तुत किया।
  • आइये विस्तार से जानते है ST एम्पलाईज वेलफेयर एसोसिएशन के क्या है मुख्य उद्देश्य ?


संगठन का पंजीयन और कानूनी आधार

  • यह संगठन छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 (संशोधित 1998) के तहत पंजीकृत हो चुका है।

  • पंजीयन प्रक्रिया में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes) का मार्गदर्शन और सहयोग प्राप्त हुआ।

  • संगठन का कार्यक्षेत्र संपूर्ण Chhattisgarh राज्य है।

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  • संगठन ने इस प्रक्रिया की जानकारी पूर्व में प्रबंधन को पत्र के माध्यम से दी थी। पंजीयन की देरी का मुख्य कारण कानूनी नियमों का पूर्ण अनुपालन रहा।

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प्रबंधन को सौंपा गया ज्ञापन

👉आज संगठन ने कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन), भिलाई स्टील प्लांट के नाम एक ज्ञापन पत्र एस.सी./एस.टी. संपर्क अधिकारी (Liaison Officer) श्री रोहित हरित के माध्यम से प्रस्तुत किया।

  • ज्ञापन में तत्काल मान्यता की मांग रखी गई।

  • इसकी प्रतिलिपि राष्ट्रपति महोदया, जनजातीय मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, सेल चेयरमैन, भिलाई स्टील प्लांट के निदेशक प्रभारी और BSP HR विभाग को भेजी गई।

  • पत्र ईमेल और हार्ड कॉपी दोनों माध्यमों से प्रेषित किया गया।

Scheduled Tribe (ST) ASSOCIATION



Scheduled Tribe एसोसिएशन के उद्देश्य और मांगें

  • अध्यक्ष श्री प्रदीप टोप्पो – “2004 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग गठन के बावजूद सेल/यूनिट स्तर पर ST कर्मचारियों के अधिकारों का हनन और उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, लगातार अनदेखी होती रही। हमें समान भागीदारी और विशेष प्रतिनिधित्व से जानबूझकर वंचित रखा गया है।” अतः संगठन प्रबंधन के सहयोग से शीघ्र समाधान की दिशा में कदम उठाएगा।

  • कार्यकारी अध्यक्ष श्री अजय कुमार(स्वतंत्र संगठन की आवश्यकता) श्री अजय कुमार ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने सेल/यूनिट स्तर पर एस.सी./एस.टी. कर्मचारियों के लिए एकल संगठन बनाने का कोई निर्देश नहीं दिया है। “ST समुदाय के लिए संविधान में विशेष प्रावधान हैं। स्वतंत्र संगठन बनाना हमारा मौलिक अधिकार है और इसका उद्देश्य जनकल्याण से जुड़ा है।”

  • महासचिव श्री श्याम सुंदर मुर्म – “हम प्रबंधन से सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा रखते हैं।”, “हमारी मांग है कि संगठन को तत्काल प्रभाव से मान्यता प्रदान की जाए और समानता के अधिकार का अनुपालन सुनिश्चित हो।”

  • कोषाध्यक्ष श्री भिमांशु कच्छप – “हम गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों के कल्याण और अधिक से अधिक सदस्यों को जोड़ना है। उन्होंने कहा, “प्रबंधन के सहयोग से हम जागरूकता कार्यक्रम और अन्य कल्याणकारी गतिविधियों का आयोजन कर सकते हैं।”

  • सचिव श्री घनश्याम सिंह सिदार(ST कर्मचारियों के लिए एक मंच) “यह संगठन भिलाई स्टील प्लांट और इसकी खदानों में कार्यरत कार्यपालक और गैर-कार्यपालक ST  कर्मचारियों के लिए एक मंच है। कर्मचारी अपनी समस्याएं इस मंच पर रख सकते हैं, और संगठन उनके समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।”



ST कर्मचारियों के लिए क्यों अहम है यह संगठन?

  • ST कर्मचारियों की आवाज़ अब एकजुट होकर प्रबंधन तक पहुंचेगी।

  • अधिकारों की सुरक्षा और समान अवसर की मांग को बल मिलेगा।

  • ST कर्मचारियों के लिए विशेष कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का आयोजन संभव होगा।

  • राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दों को उठाने का अवसर मिलेगा।



आगे की रणनीति

👉संगठन ने यह भी कहा है कि यदि उनकी उचित मांगें पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है, तो वे अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, जनजातीय मंत्रालय, और अन्य उचित मंचों का सहारा लेने के लिए बाध्य होंगे। संगठन ने जोर दिया कि अनुसूचित जनजाति समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान और विशेष शक्तियां मौजूद हैं।



👉भिलाई स्टील प्लांट ST एम्पलाईज वेलफेयर एसोसिएशन का यह कदम न सिर्फ कर्मचारियों की आवाज़ को मजबूती देगा, बल्कि संगठनात्मक रूप से उनके अधिकारों की सुरक्षा का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। अब देखना होगा कि BSP प्रबंधन इस मांग को कितनी जल्दी और किस रूप में मान्यता प्रदान करता है।



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रिपोर्ट : DIGITAL BHILAI NEWS 

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